वन नेशन वन कार्ड देश भर के विभिन्न परिवहन साधनों और भुगतान प्रणालियों में ग्राहकों को परेशानी मुक्त अनुभव प्रदान करने के लिए एक ओपन-लूप ईएमवी बेस्ड पेमेंट कार्ड है।
“वन नेशन वन कार्ड क्यों है जरूरी”?
एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए शहरी परिवहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह एक मजबूत और समृद्ध अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसमें मेट्रो, बस, और सब-अर्बन ट्रेन जैसे परिवहन के विभिन्न साधन शामिल हैं। इनसे वसूला जाने वाला किराया ज्यादातर नकद में होता है, जिससे कैश हैंडलिंग, रेवेन्यू लीकेज, कैश रिकंसिलेशन आदि जैसी समस्याएं होती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, परिवहन ऑपरेटरों ने ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम्स (एएफसी) का उपयोग करके फेयर कलेक्शन को डिजिटल बनाने के लिए कई पहल की हैं। सिस्टम ने क्लोज्ड-लूप कार्ड के उपयोग की शुरुआत की जिसने संग्रह को डिजिटल बनाने में बहुत मदद की।
हालांकि,वर्तमान में इन प्रणालियों को विदेशी विक्रेताओं मदद से आयात किया जाता है, साथ ही ऐसी प्रणालियों को इंस्टॉल करने और उनके रखरखाव की लागत काफी ज्यादा पड़ती है, जिससे विदेशी मुद्रा का काफी नुकसान होता है। इसके अलावा क्लोज्ड लूप कार्ड्स के काफी नुकसान भी है।
ये कार्ड इंटरऑपरेबल नहीं हैं और इसलिए ग्राहक उन्हें परिवहन के विभिन्न तरीकों में उपयोग करने में विफल रहते हैं। कार्ड रीटेल ट्रांजेक्शन के लिए भी सक्षम नहीं हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए, सरकार को एक स्वदेशी एएफसी सिस्टम की आवश्यकता महसूस हुई जो कि एक अफोर्डेबल इंटर ऑपरेबल हो। इसलिए उन्होंने सभी प्रकार के डिजिटल लेनदेन के लिए "वन नेशन वन कार्ड" पेश किया। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स) ने कार्ड के पूरे इको-सिस्टम के मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिए पहल की, जिसे नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) के रूप में जाना जाता है।
एनसीएमसी इको-सिस्टम का विकास
एनसीएमसी कार्ड ईएमवी कार्ड हैं जो सुरक्षा उपायों और ड्यूल इंटरफेस (कॉन्टेक्ट और कॉन्टेक्टलैस) के साथ उपलब्ध हैं। इसका उपयोग लगभग रोजाना किए जाने वाले रीटेल पेमेंट्स जैसे कि क्रेडिट / डेबिट कार्ड के साथ-साथ ट्रांसपोर्टेशन, स्मार्ट शहरों, टोल, पार्किंग और अन्य जैसे विभिन्न सेगमेंट्स के लिए कम मूल्य के भुगतान के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा इससे ट्रांसपोर्ट एप्लिकेशन जैसे मासिक पास, सीज़न टिकट आदि का भुगतान भी किया जा सकता है।
सी-डैक का कहना है कि इंटरफ़ेस में कार्ड, एएफसी सिस्टम और बैंकिंग इंटरफ़ेस जैसी विशिष्टताओं का समावेश है।इस प्रकार ग्राहक विभिन्न उद्देश्यों के लिए कार्ड का उपयोग कर सकते हैं और सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक कार्ड हो सकता है। रीडर-मैकेनिकल गेट इंटरफ़ेस, रीडर-एएफसी इंटरफ़ेस और एएफसी-बैंक इंटरफ़ेस की पूरी विशिष्टताओं को सी-डैक द्वारा प्रस्तावित और कार्यान्वित किया गया था। मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की अध्यक्षता में विशेषज्ञों के एक विशेष समूह द्वारा विनिर्देशों की समीक्षा और अनुमोदन किया गया। इन विशिष्टताओं को नेशनल स्टैंडर्ड के रूप में अपनाने के लिए बीआईएस को प्रस्तुत किया गया है।
सी-डैक ने एनसीएमसी के अनुरूप एएफसी सिस्टम सॉफ्टवेयर विकसित किया जिसमें बैकएंड के साथ-साथ फ्रंटेंड सॉफ्टवेयर भी शामिल है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को गेट्स और रीडर्स हार्डवेयर बनाने का काम सौंपा गया था। सिस्टम का वेलिडेशन टर्मिनल ईएमवीसीओ के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रमाणित है। यह देश का पहला स्वदेशी रूप से विकसित पेमेंट इको-सिस्टम है जिसमें ट्रांसपोर्टेशन भुगतान के लिए एनसीएमसी कार्ड शामिल है। इस ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम को “स्वीकार” नाम दिया गया है वहीं ऑटोमैैटिक फेयर क्लेक्शन गेट को “स्वागत” नाम दिया गया है।
इस विकास के साथ, भारत केवल उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है जो ओपन लूप प्लेटफॉर्म पर प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक तैनात करने और विकसित करने में सक्षम हैं।
एनसीएमसी इको-सिस्टम मॉडल का कार्यान्वयन
एनसीएमसी इको-सिस्टम का कार्यान्वयन विक्रेताओं और बैंकों को एक डिजिटल किराया संग्रह मंच प्रदान करने के लिए किया गया था जहाँ ग्राहक किसी भी विक्रेता से एएफसी प्रणाली का उपयोग करके किसी भी बैंक द्वारा जारी किए गए एनसीएमसी कार्ड की सहायता से डिजिटल किराया भुगतान कर सकते हैं।
ग्राहक किसी एक बैंक तक ही सीमित ना रहते हुए अपनी पसंद के किसी भी बैंक से जुड़ सकते हैं।
यह वेंडर लॉकिंग को हटाने के अलावा ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स को इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस कॉस्ट को कम करने में भी मदद करता है।
कई बैंकों द्वारा जारी एनसीएमसी कार्ड की स्वीकृति से किराया संग्रह के लिए डिजिटल पैनिट्रेशन की ज्यादा दर प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एनसीएमसी इको-सिस्टम के फायदे
वन नेशन वन कार्ड पूरी तरह से तैयार होने के बाद यात्राओं के साथ-साथ देश में कई और लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं।
ये कार्ड आपके रेगुलर क्रेडिट / डेबिट की तरह ही काम करेगा जिसके जरिए ही लोग भुगतान कर सकेंगे। इसमें वॉलेट फंक्शनिंग का अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा।
कोई भी इस कार्ड का उपयोग कैश और रिटेल शॉपिंग के लिए कर सकता है। इसके अलावा इसका उपयोग परिवहन के विभिन्न साधनों जैसे मेट्रो, ट्रेन आदि में भुगतान के लिए भी कर सकता है।
एनसीएमसी सिस्टम से विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम हो जाती है। वहीं इसके इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस की लागत भी कम हो जाती है और साथ ही स्थानीय स्तर पर निर्मित होने से कोई इंपोर्ट बिल भी नहीं देना पड़ता है।
एनसीएमसी इको-सिस्टम भी इंडियन ट्रांजिक सिस्टम में अधिक स्वदेशी उत्पादन की सुविधा प्रदान करता है। यह राष्ट्र के लिए भी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह आत्मनिर्भता की एक मिसाल है और अधिक रोजगार के अवसर खोल सकता है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के कुछ स्टेशनों पर फील्ड ट्रायल शुरू हो गया है। पायलट इंप्लीमेंटेशन हार्डवेयर विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा और सॉफ्टवेयर को अच्छी तरह से ट्यून करने में मदद करेगा।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
एनसीएमसी आधारित एएफसी प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 4 मार्च 2019 को अहमदाबाद के वस्त्राल गाम मेट्रो स्टेशन पर लॉन्च किया गया था।
सी-डैक द्वारा विकसित तकनीक को परिवहन के विभिन्न साधनों में कुछ समय के लिए अपनाया जाने वाला है। इसलिए, यात्रियों को देश के हर शहर में परिवहन के सभी साधनों का किराया चुकाने के लिए एकल कार्ड का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी।
निष्कर्ष
यह कार्ड सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और कदम है। लोगों को अब ना तो कैश चोरी होने का डर सताएगा और ना ही अलग कार्ड ले जाने की जरूरत पड़ेगी,साथ ही विभिन्न परिवहन माध्यमों के टिकट पाने के लिए लंबी लंबी कतारों में लगना पड़ेगा। ये कार्ड आपकी ऊर्जा के साथ-साथ समय की भी बचत कर सकता है। ईएमवी तकनीक से लैस ये कार्ड काफी सुरक्षित होगा और किसी को अपने पैसे खोने का डर नहीं रहेगा। एनसीएमसी न केवल ग्राहकों के लिए मूल्यवान है, बल्कि यह बैंकों और ऑपरेटरों के लिए भी फायदेमंद है।
ये कार्ड "मेक इन इंडिया" प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है और भारत को अब विदेशी देशों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। यह निश्चित रूप से सरकार की ओर से एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकता है।
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