निगोशिएबल इंस्टरुमेंट (एनआई)
सामान्य जागरूकता

निगोशिएबल इंस्टरुमेंट (एनआई)

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निगोशिएबल इंस्टरुमेंट या परक्राम्य लिखत एक दस्तावेज होता है जो भविष्य की किसी नियत तिथि या किसी व्यक्ति द्वारा मांग करने पर भुगतान करने के लिए देनदार द्वारा हस्ताक्षर करके सौंपा जाता है। ये एक फॉर्मल एग्रीमेंट या औपचारिक समझौता होता है। निगोशिएबल इंस्टरुमेंट ट्रांसफरेबल या हस्तांतरणीय होता है जो मूल धारक से किसी अन्य व्यक्ति को  दिया जा सकता है। जिस व्यक्ति को एक निगोशिएबल इंस्टरुमेंट द्वारा भुगतान प्राप्त हो रहा है (प्राप्त कर्ता) उसका नाम अनिवार्य रूप से इंस्टरुमेंट पर होना आवश्यक है। 

इस निगोशिएबल इंस्टरुमेंट का अंतिम धारक या फाइनल होल्डर भविष्य में किसी भी तारीख पर या आवश्यकतानुसार धनराशि प्राप्त कर सकता है। इसका मतलब ये है कि फाइनल होल्डर के पास इस तरह के इंस्टरुमेंट के लिए पूरा कानूनी अधिकार होता है।

निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स के फीचर्स

  • निगोशिएबल इंस्टरुमेंट में 'निगोशिएबल' शब्द से जुड़ा तथ्य ये है कि ये दस्तावेज प्रकृति में परक्राम्य यानी निगोशिएबल हैं और फाइनल होल्डर के पास इस तरह के इंस्टरुमेंट के लिए पूरा कानूनी अधिकार होता है 
  • नॉन निगोशिएबल इंस्टरुमेंट ना तो ट्रांसफरेबल होते हैं और ना ही किसी रूप में बदले जा सकते हैं। 
  • निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स का होल्डर या तो इससे फंड लेने में सक्षम बनाते हैं या इसे फिर किसी दूसरे असाइनी/लेनदार को ट्रांसफर किया जा सकता है। 
  • इंस्ट्रूमेंट जारी करने वाले व्यक्ति को ड्रॉअर्स ऑफ फंड या फंड निकालने वाले के रूप में जाना जाता है।
  • प्रकृति में कॉन्ट्रेक्चुअल या संविदात्मक होने के नाते, डॉक्यूमेट जारी करने वाले के द्वारा निगोशिएबल इंस्टरुमेंट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।
  • भुगतानकर्ता या दस्तावेज़ जारी करने वाला व्यक्ति राशि का भुगतान करने का वादा करता है, भुगतान राशि को निगोशिएबल इंस्टरुमेंट पर इंगित किया जाता है और मांग करने पर या नियत तिथि पर उसका भुगतान होना ही चाहिए।
  • निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने का वादा है और इंस्ट्रूमेंट जारी करने वाला कोई अन्य वादा नहीं कर सकता है। 
  • ये इंस्टरुमेंट अपने आप में पूर्ण दस्तावेज है जो होल्डर को कानूनी रूप से भुगतान प्राप्त करने का अधिकार देता है। इसके अलावा, कोई अन्य निर्देश या शर्त को वाहक या बियरर के लिए निगोशिएबल इंस्टरुमेंट में बताई गई राशि प्राप्त करने के लिए नहीं लगाया जा सकता है।
  • निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट पर सभी संबंधित सूचना जैसे कि राशि, ब्याज दर, तिथि और सबसे महत्वपूर्ण बात भुगतानकर्ता के हस्ताक्षर होने चाहिए। 
  • निगोशिएबल इंस्टरुमेंट के आम उदाहरण चैक्स,मनी ऑडर्स और प्रॉमिसरी नोट्स हैं। 

निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स (संशोधित)बिल 2017

लोकसभा में साल 2018 में निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स(संशोधित)बिल 2017 पेश किया गया था। इस बिल में प्रॉमिसरी नोट्स,बिल ऑफ एक्सचेंज और चैक्स जैसे निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स को परिभाषित किया गया था। इस बिल में चैक डिस-ऑनर और निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स से संबंधित कुछ दूसरे उल्लंघन पर दिए जाने वाले दंड का वर्णन भी है। 

यदि कोई चेक अस्वीकृत किया जाता है, तो उल्लंघनकर्ता 9 प्रतिशत तक ब्याज दर के साथ 10,000 रुपये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा। 

इस विधेयक में एक प्रावधान भी है, जो अदालत को उन लोगों को अंतरिम मुआवजे दिलवाने की अनुमति देता है जिनके चेक डिस-ऑनरिंग पार्टी के कारण बाउंस हुए हैं। ऐसे अंतरिम मुआवजे की सीमा चेक के कुल मूल्य के 20% से अधिक नहीं होगी।

निगोशिएबल इंस्टरुमेंट एक्ट के उद्देश्य

  • ये अपनी ट्रांसफरेबिलिटी के कारण व्यावसायिक लेनदेन में भुगतान करने का निपटान करने की सुविधा देता है। 
  • कानूनन तौर पर ये काफी सुरक्षित है। 
  • ये निगोशिएबल इंस्टरुमेंट के नियमों के अनुसार पेश किया जाता है। 
  • ये एक विशेष प्रक्रिया के लिए भी पेश किया जा सकता है जहां उन दायित्वों के मामले में इंस्टरुमेंट के तहत निर्वहन करना पड़ता है।
  • चेक्स,बिल्स ऑफ एक्सचेंज, प्रोमिसरी नोट्स निगोशिएबल इंस्टरुमेंट के उदाहरण स्वरूप हैं। 
  • यह इंस्टरुमेंट पार्टियों की क्षमता और देनदारियों की व्याख्या करता है।
  • यह अधिनियम के तहत विभिन्न विषयों की समझ प्रदान करता है जो निगोशिएशन, असाइनमेंट, एंडोर्समेंट आदि हैं।
  • ये बैंकिग और उसके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाता है और व्यापारिक लेनदेन के प्रति भी काफी विश्वास पैदा करता है। 

निगोशिएबल इंस्टरुमेंट के प्रकार

प्रॉमिसरी नोट्स

जैसा कि नाम से ही पता लगता है प्रोमिसरी नोट एक दस्तावेज होता है जो दो पार्टियों के बीच हुए वादे को संदर्भित करता है जहां एक पार्टी दूसरी पार्टी को एक विनिर्दिष्ट तिथि तक राशि भुगतान करने का वादा करती है। जैसा कि पहले भी बताया गया है प्रोमिसरी नोट एक निगोशिएबल इंस्टरुमेंट है और इसमें प्रिंसिपल अमाउंट, इंटरस्ट रेट, टर्म लेंथ, जारी करने की तारीख और भुगतान कर्ता के हस्ताक्षर जैसी चीज़ें इंगित होनी चाहिए। आसान भाषा में कहें तो प्रोमिसरी नोट में देनदार द्वारा लेनदार को दी गई राशि का ब्यौरा होता है तारीख समेत ब्याज दर (यदि है तो) मिलाकर कुल राशि होती है। 

उदाहरण: ए ने बी से 10,000 रुपये का माल लिया। यदि ए, बी को नगद भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे बी को एक प्रोमिसरी नोट जारी करना पड़ेगा। उस नोट में ए को वादा करना होगा कि वो एक निर्धारित तिथि पर या बी द्वारा मांग करने पर उसे भुगतान कर देगा। चूंकि निगोशिएबल इंस्टरुमेंट ट्रांसफरेबल होते हैं, ऐसे में ये फीचर प्रोमिसरी नोट के संदर्भ में भी लागू होता है। यदि ए की तरह सी द्वारा भी ए को इसी तरह का कोई प्रोमिसरी नोट जारी किया गया है तो ए उसे बी को दे सकता है और अपना भुगतान निपटा सकता है। 

विशेष रूप से एक प्रोमिसरी नोट व्यक्तियों और कॉर्पोरेशंस के बीच लेनदेन का एक असुरक्षित माध्यम है जो बैंकिंग और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से अलग है।

बिल ऑफ एक्सचेंज

विनिमय के बिल या बिल ऑफ एक्सचेंज कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं। इस लिखित दस्तावेज में एक पार्टी को दूसरी पार्टी को पूर्वनिर्धारित राशि का भुगतान करना होता है।

बिल ऑफ एक्सचेंज का उपयोग व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ सेवाओं से संबंधित लेनदेन में किया जाता है। इसपर देनदार को हस्ताक्षर करने होते हैं और ये लेनदार को दिया जाता है। चूंकि यह प्रकृति में हस्तांतरणीय या ट्रांसफरेबल है, इसलिए एक्सचेंज के बिल का उपयोग किसी थर्ड पार्टी को देने के लिए भी किया जा सकता है। बिल ऑफ एक्सचेंज मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मामलों में एक वचन पत्र के रूप में काम करता है, जिसके तहत माल का निर्यातक आयातक या खरीदार के नाम पर बिल ऑफ एक्सचेंज तैयार करता है। ज्यादातर मामलों में, एक बैंक आमतौर पर इन भुगतानों के लिए गारंटी प्रदान करता है ताकि कोई भी पार्टी लेनदेन को रद्द न कर सके।

यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जब किसी वित्तीय संस्थान द्वारा बिल ऑफ एक्सचेंज जारी किया जाता है तो इसे बैंक ड्राफ्ट कहा जाता है, और यदि यह किसी व्यक्ति द्वारा जारी किया जाता है, तो इसे आमतौर पर ट्रेड ड्राफ्ट कहा जाता है। 

चेक्स

चेक एक लिखित कॉन्ट्रेक्चुअल डॉक्यूमेंट होता है जिसमें बैंकर के पास बिना शर्त के किसी व्यक्ति द्वारा मांग करने पर भुगतान करने का आदेश होता है जो उस चेक का बियरर या वाहक होता है या फिर कुछ निर्देशो के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति को भी भुगतान किया जा सकता है। बैंकर केवल तभी भुगतान करता है जब चेक पर उस व्यक्ति के सिग्नेचर हो जिसका पैसा उक्त बैंक में जमा है। ऑनलाइन बैंकिंग के व्यापक इस्तेमाल के चलते अब ज्यादातर चेक बिलों का भुगतान करने के काम में ही आते हैंं। चूंकि ऑनलाइन बैंकिंग काफी तेज और आसान है,ऐसे में चैक का इस्तेमाल अब ज्यादा नहीं होता है क्योंकि उन्हें क्लीयर होने में ही काफी समय लग जाता है। पर्सनल चेक पर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं जिसका पैसा उस बैंक में जमा हो और चेक पर बियरर का नाम और उसे भुगतान की जाने वाली राशि भी इंगित होनी चाहिए। 

मनी ऑर्डर

मनी ऑर्डर भी एक तरह का दस्तावेज हैं जो ऑर्डर होल्डर को एक राशि का भुगतान करने का वादा करते हैं। मनी ऑर्डर वित्तीय संस्थानों और सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं और व्यापक रूप से उपलब्ध होते हैं, लेकिन इसके तहत ऑर्डर होल्डर को एक सीमित राशि का ही भुगतान किया जा सकता है।

मनी ऑर्डर खरीदे जाते हैं, और खरीदने वाले को इसमें प्राप्तकर्ता और राशि का विवरण भरना होता है और उस व्यक्ति को ऑर्डर भेजना होता है। चेक की तुलना मे मनी ऑर्डर में अपेक्षाकृत कम व्यक्तिगत जानकारी होती है और इनमें केवल नाम और पता ही होते हैं।

ट्रेवलर्स चेक

ट्रैवेलर्स चेक निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट हैं जिनका उपयोग विदेशी मुद्रा के विकल्प के रूप में विदेशों में लोगों द्वारा भुगतान के रूप में किया जाता है। ट्रैवलर्स चेक वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए जाते हैं और इसमें राशि पहले से ही तय कर ली जाती है। वित्तिय संस्थान एक दोहरी हस्ताक्षर विधि का पालन करते हैं, जिससे चेक के खरीदार को इसका उपयोग करने से पहले एक बार चेक पर हस्ताक्षर करना पड़ता है और दूसरी बार लेनदेन करते समय हस्ताक्षर करना पड़ता है। जब दोनों हस्ताक्षर का मिलान सही पाया जाता है तो वित्तीय संस्थान भुगतानकर्ता को भुगतान की गारंटी देता है। 

ऐसे निगोशिएबल इंस्टरुमेंट्स के साथ, खरीदारों को विदेशी मुद्रा में बहुत अधिक नकदी ले जाने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

डिपॉजिट सर्टिफिकेट

जमा प्रमाण पत्र या सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) एक वित्तीय संस्थान और बैंक द्वारा जारी किया जाता है जो ग्राहकों को एक निश्चित अवधि के लिए एक सीमित राशि जमा करने की अनुमति देता है और बदले में अच्छा ब्याज देता है। 

ब्याज दर जमा करने की अवधि के हिसाब से बढ़ती जाती है मगर,मैच्योरिटी से पहले ही पैसे नि​कालने पर दंडस्वरूप कुछ पैनल्टी दी जाती है। 

यह भी पढ़ें: बैंकिंग जागरूकता: प्राथमिकता क्षेत्र उधार क्या है?

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