संसद सदस्य बनने के लिए क्या हैं पात्रता मापदंड ,चुनाव प्रक्रिया और जिम्मेदारियां, सबकुछ जानिए यहां
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संसद सदस्य बनने के लिए क्या हैं पात्रता मापदंड ,चुनाव प्रक्रिया और जिम्मेदारियां, सबकुछ जानिए यहां

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हमारी संसद भारत संघ का विधानमंडल है और इसमें दो सदन होते हैं: राज्यसभा एवं लोकसभा। जहां राज्यसभा को राज्यों की परिषद के रूप में भी जाना जाता है और लोकसभा को हाउस ऑफ पीपुल भी कहा जाता है।

भारत के संविधान के अनुसार, राज्यसभा में न्यूनतम 250 सदस्य शामिल होने चाहिए, जिसमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं, जो विशेष तरह के ज्ञान और अनुभव वाले व्यक्ति होते हैं। राज्यसभा एक निकाय है जो भंग होने के अधीन नहीं है और इसके एक-तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं।

राज्यसभा के सदस्यों को एक एकल हस्तांतरणीय वोट (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट) के माध्यम से विधायकों द्वारा चुना जाता है।

लोकसभा के सदस्य निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं जिन्हे आम जनता द्वारा सीधे चुनाव के माध्यम से यूनिवर्सल एडल्ट सफ़रेज के आधार पर चुना जाता है।

संविधान के अनुसार लोकसभा में 552 सदस्य होते हैं, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा स्वयं चुने जाते हैं।

वर्तमान में, लोकसभा में सदस्यों की कुल संख्या 545 है। ऐसे में जब हम संसद सदस्यों के बारे में बात करते हैं तो उन्हें भारत की जनता द्वारा चुने गए सदस्यों के रूप में बेहतर रूप से कहा जाना आवश्यक है।

संसद सदस्य बनने के लिए पात्रता मापदंड

भारत के संविधान के अनुसार संसद सदस्य बनने के लिए एक उम्मीदवार को कुछ नियमों का पालन करना होता है और उन्हें इसका सदस्य बनने के लिए कुछ योग्यता मापदंडो पर भी खरा उतरना होता है।

अनुच्छेद 84 के अनुसार,संसद सदस्य बनने के लिए एक उम्मीदवार को निम्नलिखित मानदंडों का पालन करना चाहिए:

  • उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • लोकसभा के मामले में संसद सदस्य की उम्र 25 वर्ष से कम और राज्यसभा के मामले में 30 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए
  • उम्मीदवार को खुद एक मतदाता होना चाहिए, अर्थात उसे एक संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।

संसद सदस्य के लिए अयोग्यता के आधार

हमारा संविधान, संसद के सदस्य के लिए अयोग्यता का आधार बताते हुए नियमों की भी पैरवी करता है। अनुच्छेद 102 के अनुसार, निम्नलिखित आधार हैं जिनके आधार पर किसी सांसद को संसद भवन से अयोग्य ठहराया जा सकता है:

  • यदि वह किसी भी चुनाव संबंधी अपराध या दोषी प्रथाओं के लिए दोषी पाया जाए।
  • वह निर्धारित समय के भीतर चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा पेश करने में विफल रहे।
  • वो ऐसे किसी अपराध में लिप्त नहीं होना चाहिए जिसके लिए उसे दो या अधिक वर्षों से अधिक कारावास की सजा सुनाई जाए।
  • सरकारी अनुबंधों, कार्यों और सेवाओं में उनकी कोई व्यक्तिगत रुचि ना हो।
  • उन्हें भ्रष्टाचार, या राज्य के प्रति अरुचि के कारण सरकारी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया हो।
  • उस पर विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच नफरत और दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप हो।
  • उन्हें सामाजिक अपराधों जैसे दहेज, सती, भेदभाव, जाति व्यवस्था आदि के प्रचार के लिए दंडित किया गया हो।

संसद सदस्यों की जिम्मेदारियां और शक्तियां

संघीय भारत सरकार की सभी विधायी शक्तियाँ संसद में निहित हैं। भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून पूरे देश में लागू हैं। संविधान ने संसद सदस्यों को विभिन्न शक्तियां और जिम्मेदारियां दी हैं, जिनका विवरण नीचे दिया गया है:

विधायी जिम्मेदारियां: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में उल्लिखित विषयों के संबंध में कानून बनाने के लिए संसद के सभी सदस्य जिम्मेदार हैं। संविधान में निम्नलिखित परिस्थितियों में राज्य विधायिका के संबंध में कानून बनाने की भी शक्तियां हैं:

  • यदि कोई राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो।
  • जब अंतर्राष्ट्रीय समझौतों, संधियों और सम्मेलनों को प्रभाव देना आवश्यक हो।
  • जब राष्ट्रपति शासन लागू हो।

कार्यकारी जिम्मेदारियां: संसद के रूप में, सरकार के कार्यकारी सदस्य अपने कार्यो और नीतियों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसलिए संसद विभिन्न समितियों, प्रश्नकाल, शून्यकाल आदि जैसे उपायों पर नियंत्रण रखती है, मंत्री सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि सरकारी कार्यों को संतोषजनक तरीके से किया जा रहा है कि नहीं।

भारत में, कार्यकारी जिम्मेदारियां संसद के कामकाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। संसद में कुछ प्रोटोकॉल और प्रश्न काल,शुन्यकाल,ध्यानाकर्षण प्रस्ताव,स्थगन प्रस्ताव,आधे घंटे की चर्चा आदि जैसी प्रक्रियाओं के जरिए नियंत्रण रखा जाता है। विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों को संसदीय समितियों में नामित किया जाता है और इन समितियों के माध्यम से संसद सरकार को नियंत्रित करती है। संविधान के अनुच्छेद 75 में उल्लेख किया गया है कि मंत्रिपरिषद तब तक अपने पद पर बनी रहती है जब तक उसे लोकसभा का विश्वासमत प्राप्त है। मंत्री व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से लोकसभा के लिए जिम्मेदार हैं। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित करके लोकसभा मंत्रियों की परिषद को हटा सकती है।

वित्तीय जिम्मेदारियां: सांसद की वित्तीय शक्तियों में बजट को अंतिम रूप देना, नीतियों को लागू करना, वित्तीय समितियों के माध्यम से वित्तीय खर्च के प्रदर्शन की जांच करना, बजट के बाद का नियंत्रण आदि शामिल हैं।

संसद को सभी राष्ट्रीय वित्तीय मामलों के संबंध में सर्वोच्च अधिकार प्राप्त है।सांसद के अनुमति के बिना एक पैसा खर्च नहीं किया जा सकता है और कानून के अधिकार के बिना कोई कर नहीं लगाया जा सकता है। संसद की उचित स्वीकृति के साथ बजट भी पारित किया जाता है जो यह भी दर्शाता है कि संसद ने सरकार की आमदनी और खर्च को वैध कर दिया है।

सरकारी खर्चों पर नजर रखने के लिए समितियों का गठन किया जाता है और इन समितियों का हिस्सा बनने के लिए सांसद चुने जाते हैं। इस तरह, संसद सरकार पर बजट पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ उसपर अमल भी करती है।

चुनावी ज़िम्मेदारियां: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सांसद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लोकसभा के सदस्य, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी संसद के सदस्यों में से करते हैं।

न्यायिक जिम्मेदारियां: नीचे सांसद की न्यायिक शक्तियों का विवरण दिया गया है:

  • किसी भी संवैधानिक अधिनियमों के उल्लंघन के लिए राष्ट्रपति का महाभियोग।
  • उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना।
  • उप-राष्ट्रपति को हटाना
  • शपथ ग्रहण करने से पहले ही कामकाज संभालने जैसे कृत्यों के लिए दंडित करना

संवैधानिक जिम्मेदारियां: संसद को संविधान में संशोधन के लिए किसी भी प्रस्ताव को शुरू करने का अधिकार है। लोकसभा या राज्यसभा में संशोधन के लिए एक बिल शुरू किया जा सकता है। राज्य विधान सभा राज्य में विधान परिषद बनाने या वापस लेने के लिए संसद से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है। संसद इस प्रकार संविधान में संशोधन लाने का भी काम करती है।

लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया:

लोकसभा के सदस्यों को सार्वभौमिक मताधिकार के तहत पर चुना जाता है और चयनित उम्मीदवार अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका कार्यकाल पांच साल का होता है या फिर तब तक होता है जब तक कि विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति द्वारा निकाय को भंग नहीं किया जाता। नई दिल्ली स्थित संसद भवन में लोकसभा सदस्यों की बैठक होती है। लोकसभा या संसद के निचले सदन में कुल 543 सदस्य होते हैं। सभी 543 सदस्य देश के सभी संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग होते हैं जिन्हें आम जनता वोट के आधार पर चुनकर संसद में भेजती है।

सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते भारत में लोकसभा सदस्य को किसी भी लिंग, जाति, धर्म या नस्ल से संबंधित 18 वर्ष से उपर की आयु वाले व्यक्तियों को वोट देने का अधिकार दिया गया है। लोकसभा की सीट व जनता का अनुपात सभी राज्यों के लिए एक होने के आधार पर सभी प्रदेशों में लोकसभा सीटों का आवंटन होता है।

प्रत्येक राज्य को संविधान के दो प्रावधानों के तहत क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:

लोकसभा की सीट व जनता का अनुपात सभी राज्यों के लिए एक होने के आधार पर सभी प्रदेशों में लोकसभा सीटों का आवंटन होता है। यदि किसी प्रदेश की जनसंख्या 60 लाख से कम है तो, इस प्रावधान को नजरंदाज कर दिया जाता है।

प्रत्येक राज्य को क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में इस तरह से विभाजित किया गया है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की आबादी और उसके लिए आवंटित सीटों की संख्या के बीच का अनुपात पूरे राज्य में समान रहता है।

केंद्र में सरकार बनाने के लिए, एक राजनीतिक दल को 272 सांसदों की आवश्यकता होती है और यदि कोई पार्टी इन चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या का प्रबंधन नहीं कर पाती है तो वह गठबंधन सरकार बनाने के लिए अन्य दलों से हाथ मिला सकती है।

वर्ष 1952 में, पहली लोकसभा का गठन वर्ष 1951-1952 में पहले आम चुनाव के बाद किया गया था। जीवी मावलंकर लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे और एम अनंतशयनम अय्यंगार लोकसभा के पहले उपाध्यक्ष थे। सही मायनों में कहें तो लोकसभा देश को नियंत्रित करती है क्योंकि यहां देश के लिए प्रमुख नीतियां और बजट पेश किए जाते हैं।

राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया:

राज्यसभा को राज्य परिषद के रूप में भी जाना जाता है जो संसद का ऊपरी सदन है और एक स्थायी निकाय है जिसे भंग नहीं किया जा सकता है।

राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य होते हैं। वर्तमान में 245 सदस्यों को अनुमोदित किया गया है जिनमें से 233 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं और 12 सदस्यों को उनके विशेष ज्ञान और अनुभव के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है।

राज्यसभा के सदस्य विधायकों द्वारा राज्य विधानसभाओं के फर्श पर चुने जाते हैं। चुनाव प्रक्रिया एकल हस्तांतरणीय वोट के माध्यम से की जाती है।

राज्य के विधायकों द्वारा राज्यसभा के सदस्य को चुना जाता है। राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया एकल हस्तांतरणीय वोट (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट) के माध्यम से की जाती है।

राज्यसभा चुनावों के दौरान विधायक अपनी प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं जिसके लिए उन्हें एक बैलेट पेपर दिया जाता है। इस बैलेट पेपर पर सभी प्रतियोगी उम्मीदवारों के नाम दिए गए होते हैं जिन्हें विधायक अपनी प्राथमिकता के आधार पर यानी वरीयता के अनुसार पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रख सकते हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से पहले राज्यसभा का चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से होता था। बाद में वाजपेयी सरकार में ओपन बैलेट सिस्टम के रूप में चुनावी प्रक्रिया शुरू कराई गई।

राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए, संभावित उम्मीदवार को गणना किए गए कोटे से अधिक वोट सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है।

राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए, संभावित उम्मीदवार को गणना किए गए कोटे से अधिक वोट सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है। यदि कोई भी उम्मीदवार कोटे के तहत विधायकों द्वारा पहली प्राथमिकता वाला वोट आवश्यकता से अधिक प्राप्त कर लेता है तो बचे हुए वोट दूसरे संभावित उम्मीदवार को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं।

राज्यसभा के कुल सदस्यों में से एक-तिहाई सदस्य हर दूसरे साल सेवानिवृत्त होते हैं और उनकी जगह नए सदस्य को चुना जाता है। इसका मतलब है राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है। 

भारत की संसद से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय हर उम्मीदवार को भारत की संसद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब तैयार कर लेने चाहिए। प्रतियोगी परीक्षा में ये काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। 

राज्यों की परिषद का दूसरा नाम क्या है? 

  • लोकसभा
  • राज्यसभा
  • संसद
  • एडहॉक कमेटी

उत्तर: ब

लोकसभा का दूसरा नाम क्या है?

  • राज्यों की परिषद
  • उच्च सदन
  • हाउस  ऑफ पीपुल
  • संसद

उत्तर: स

राज्यसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या: 

  • 220
  • 235
  • 238
  • 250

उत्तर: द

राष्ट्रपति राज्यसभा और लोकसभा में कितने सदस्यों को मनोनीत कर सकता है?

  • 6, 3
  • 8, 2
  • 10, 3
  • 12, 2

उत्तर: द

राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?

  • भारत के राष्ट्रपति
  • भारत के उपराष्ट्रपति
  • भारत के प्रधान मंत्री
  • राज्यसभा के सदस्यों से चुना गया व्यक्ति

उत्तर: ब

राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है?

  • 2 साल
  • 4 साल
  • 6 साल
  • 8 साल

उत्तर: स

इनमें से कौनसा अनुच्छेद धन विधेयक से संबंधित है और इसे कहां पेश किया जा सकता है?

  • अनुच्छेद 110, राज्यसभा
  • अनुच्छेद 110, लोकसभा
  • अनुच्छेद 121, राज्यसभा
  • अनुच्छेद 121, लोकसभा

उत्तर: ब

निम्नलिखित में से कौन लोकसभा के सदस्य बनने के लिए पात्रता मानदंड नहीं है?

  • उम्र 25 साल या उससे अधिक
  • मानसिक रूप से ठीक
  • उम्मीदवार लाभ का पद धारण नहीं करता हो
  • आर्ट्स फील्ड से होना चाहिए।

उत्तर: द

भारत के संविधान के अनुसार, लोकसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या कितनी होनी चाहिए है?

  • 530
  • 540
  • 550
  • 552

उत्तर:द 

निम्नलिखित में से कौन लोकसभा का पीठासीन अधिकारी है?

  • अध्यक्ष
  • उपाध्यक्ष
  • लोकसभा अध्यक्ष
  • प्रधानमंत्री

उत्तर: स

यह भी पढ़ें: कुछ देशों के अनोखे उपनाम

 

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